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हिन्दू नव वर्ष का महत्व

नमस्कार दोस्तों, हमारा आर्यावर्त की इस ज्ञानवर्धक लेख में आप सभी का स्वागत है, इस लेख में आप जानेगे हिन्दू नववर्ष के बारे में |



तो आईये प्रारंभ करते है |

हिन्दू नववर्ष कब मनाया जाता है?


मित्रो जैसा की आप जानते है की 6 अप्रैल 2019 को हिन्दू नव वर्ष प्रारंभ हो रहा है| लेकिन हम लोगो ने पूरी दुनिया की चकाचोंध में आ कर के न्यू इयर न्यू इयर की रट लगा रखी है| परन्तु क्या आप लोगो को पता है की हमारा हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है? हमारा नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के पहले दिन मनाया जाता है| इसके पीछे बहुत से सामाजिक, सांस्क्रतिक और वैज्ञानिक तथ्य छिपे हुए है| दोस्तों जिस दिन हिन्दू नव वर्ष मनाया जाता है उसी दिन ही ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की रचना की थी| 14 वर्ष बाद वनवास से लोटने पर प्रभु श्री राम और महाभारत में युधिष्टिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था| जहाँ अग्रेजी नव वर्ष आधी रात को मनाया जाता है वहीँ हमारा हिन्दू नववर्ष सूर्य की पहली किरण के साथ ही प्रारंभ होता है| सम्राट विक्रमादित्य ने अखंड राज्य की स्थापना और विक्रम संवत की शरुआत की भी इसी दिन की थी | राजा विक्रमादित्य की भांति ही शालिवाहन ने हूणों को हराकर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना था। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया| है मित्रो नवरात्र का पहला दिन भी इसी दिन |

नव वर्ष कैसे मनाये


1) हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें , झंडे, बैनर....आदि लगावे ।
2) आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3) इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
4) आपने घरों के द्वार को आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5) घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6) इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
8) इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें।
9) वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें।
10) चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम कराये।

हिन्दू नव वर्ष के प्राक्रतिक महत्व


1) वसंत ऋतु का आरंभ इसी दिन से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधों से भरी होती है।
2) फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3) नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

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